Tuesday, March 25, 2014


काशी का परिचय खुद की आंखों से...
काशी का ज्ञान विश्वविख्यात है..इसका उद्दहारण इतिहास तक में है... तुलसीदास को यहाँ अस्सी के बच्चो ने शास्त्रार्थ में हराया था... इसी से यहाँ के ज्ञान का अंदाजा लगाया जा सकता है....मैं बहुत भाग्यशाली हूं...जो महादेव की नगरी में पैदा हुआ....सभी बनारसीयों की तरह मैंने भी गंगा में तैराकी और महादेव के शिवलिंग पर जल चढ़ा कर अपने बचपन की शुरुआत की है....यहाँ की गलिया काफी मशहूर है... ये काफी पतली है एक तो गली ऐसी है.. सिर्फ ६ इंच की चौड़ाई है..बनारस की सबसे मशहूर चीज़ और शायद बुद्धिजीवियों को अजीब लगने वाला...बनारसी गालियां है... जी हां गालियां भी यहां की काफी मशहूर है... यहाँ होली वाले दिन एक कवि सम्मलेन होता है.. जिसमें माइक का प्रयोग नहीं किया जाता.. और उस कविता को  सिर्फ गलियों की कविता कही जाती है... इसका एक उदहारण है सांड बनारसी का....चर्चौन्धी का मेला पहुंचे... पेले गुरु और चेला काफी मशहूर कविता है.. यहाँ किसी को अगर शब्द उत्तम लगे तो वाह  वाह वाह करता... बल्कि बनारसी तरीके से कहता है.. भाग भाग भाग भोसड़ी के ..

Monday, March 24, 2014

स्वागत नहीं करोगे हमारा.....